शायर न बनाया होता / सुमन पोखरेल
हमारी इश्क को दिल्लगी का घर न बनाया होता ए संगदिल तुम ने मुहब्बत को जहर न बनाया होता खंजर-ए-शब-ए-स्याह जाने किस किस को मार लेता आशुँओ से...
मेरे कमरे मे / सुमन पोखरेल
आज ये दिल खुस नही है मेरे कमरे मे तू नही तो जैसे कुछ नहीं है मेरे कमरे मे एक सख्त जिन्दगी और हजारों हसरते वैसे तो क्या कुछ नहीं है मेरे...
नादाँ मैं ये कैसा हूँ ? / सुमन पोखरेल
भीड में हूँ और तन्हा हूँ मै भी मेहर जैसा हूँ इतनी बढी दुनियाँ में मैं तो बस एक पैसा हूँ क्या देखोगे सुरत पे, गम से रेजा रेजा है देख लो...
मुस्कुराना आप का / सुमन पोखरेल
मुझे सामने देख यकायक वो मुस्कुराना आप का दिल पे असर कर गया था फिर शरमाना आप का देख के वो मंजर मैने खोया था दिल अपना रात सी जुल्फ, चाँद सा...
दिल को मालामाल देखा / सुमन पोखरेल
सुर्ख होते रूखसार से बिखरते हुए गुलाल देखा जब तक थे रूबरू बस उनका बेहाल देखा मदभरी आँखे सुर्ख होंठ तलवार सी भौहें वो पेसानी जितना देखा जो...
ये क्या 'सुमन'! हो गया / सुमन पोखरेल
ख्वाह म ख्वाह महताब आपका दुश्मन हो गया जब पर्दा उठाया रूख से और जहाँ रौशन हो गया इजहारे मुहब्बत करना था घबरा रहे थे हम वाजिब हुवा इजहार...
बन के मेहमान आया / सुमन पोखरेल
अपने गाँव के तरफ से एक तूफान आया खयालो में अपना टुटा हुआ मकान आया सोचे थे घर की चाबी थमाने को जिसे वो आया भी तो बन के मेहमान आया मेरे...
एक ही मुलाकात ने / सुमन पोखरेल
इल्म नही कब कब उठार्इ कलम किस किस की बात में अब कौन बताएगा यह हम ने लिखे या लिखा हालात ने छोड के दामन जिन्दगी की चले जाते दूर कही गर ना...