बन के मेहमान आया / सुमन पोखरेल
अपने गाँव के तरफ से एक तूफान आया
खयालो में अपना टुटा हुआ मकान आया
सोचे थे घर की चाबी थमाने को जिसे
वो आया भी तो बन के मेहमान आया
मेरे दिवानों को रद्दी में बेच घर चलाया
कह रहा था मेरे घर जो रत्बुल्लिसान आया
नहीं मनाती है जश्न हमें नयी साल की
हर नयाँ साल बनके जियादा बेर्इमान आया
झगडते हुए बच्चों को टोकना छोड दिया
जब देख के वो नजारा-ए-इवान आया
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