ये क्या 'सुमन'! हो गया / सुमन पोखरेल
ख्वाह म ख्वाह महताब आपका दुश्मन हो गया
जब पर्दा उठाया रूख से और जहाँ रौशन हो गया
इजहारे मुहब्बत करना था घबरा रहे थे हम
वाजिब हुवा इजहार ये सहबन हो गया
देर बहुत लगाया मुहब्बत जताने को
आगे जो होना था वो फौरन हो गया
हाले दिल कहना था घबराने का डर था
शुक्र है था खुदा ये एहतियातन हो गया
चुडियों के तरन्नुम में बलखाते हुए झुमके
वो आए घर मेरा अंजुमन हो गया
बेजान थे हम उन से मिलने से पहले
मौत के बाद जिन्दगी ये क्या 'सुमन'! हो गया
Related Posts
See Allमैले लेख्न शुरू गरेको, र तपाईँले पढ्न थाल्नुभएको अक्षरहरूको यो थुप्रो एउटा कविता हो । मैले भोलि अभिव्यक्त गर्ने, र तपाईँले मन लगाएर वा...