मेरे कमरे मे / सुमन पोखरेल
आज ये दिल खुस नही है मेरे कमरे मे
तू नही तो जैसे कुछ नहीं है मेरे कमरे मे
एक सख्त जिन्दगी और हजारों हसरते
वैसे तो क्या कुछ नहीं है मेरे कमरे में
तेरे जाने से कोर्इ बुलाने लगे कोर्इ रोने लगे हैं
आज एक भी सामान चुप नहीं है मेरे कमरे में
कब गिरके टुट जाना है कोर्इ यकीन नहीं
अश्क आज महफूज नहीं है मेरे कमरे में
एक अलग मजा था जब तुम मनाया करती
आज लेकिन कोर्इ जिद नही है मेरे कमरे में
तेरे हिज्र की इस रात में आहें सर्द सर्द है
जैसे कोर्इ कमरा मौजुद नहीं है मेरे कमरे में
यादों के इतने बरसात ख्वाबों के इतने लकिरें
कैसे कहें तेरा वौजूद नहीं है मेरे कमरे मे
न पर्दे हिल रहे हैं न शमाँ लडखडा रही है
क्यों आज कोर्इ जोश नहीं है मेरे कमरे मे
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