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दिल को मालामाल देखा / सुमन पोखरेल
- सुमन पोखरेल
- Sep 3, 2018
- 1 min read
सुर्ख होते रूखसार से बिखरते हुए गुलाल देखा
जब तक थे रूबरू बस उनका बेहाल देखा
मदभरी आँखे सुर्ख होंठ तलवार सी भौहें वो पेसानी
जितना देखा जो कुछ देखा, हुश्न से निहाल देखा
दुपट्टेका किनारा फैलाना फिर अंगुलियों से समेटना
शर्म-ओ-हया का आज मैने एक नयाँ चाल देखा
हम तो चुप रहे पर ये सौदा करने को कहता है
मालुं हुआ दिल की हकिकत, आज इसे दलाल देखा
आगे क्या होने को है आगे ही हो शायद मालुम
दिल की धडकनों को बढ्ते हुए फिलहाल देखा
ख्वाब, हौशला, मुहब्बत, बफा और जिन्दगी
वाह ! क्या पाया दिल ने, दिल को मालामाल देखा
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