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दिल को मालामाल देखा / सुमन पोखरेल


सुर्ख होते रूखसार से बिखरते हुए गुलाल देखा

जब तक थे रूबरू बस उनका बेहाल देखा

मदभरी आँखे सुर्ख होंठ तलवार सी भौहें वो पेसानी

जितना देखा जो कुछ देखा, हुश्न से निहाल देखा

दुपट्टेका किनारा फैलाना फिर अंगुलियों से समेटना

शर्म-ओ-हया का आज मैने एक नयाँ चाल देखा

हम तो चुप रहे पर ये सौदा करने को कहता है

मालुं हुआ दिल की हकिकत, आज इसे दलाल देखा

आगे क्या होने को है आगे ही हो शायद मालुम

दिल की धडकनों को बढ्ते हुए फिलहाल देखा

ख्वाब, हौशला, मुहब्बत, बफा और जिन्दगी

वाह ! क्या पाया दिल ने, दिल को मालामाल देखा

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