Rain in Jungle / Dinesh Adhikari
It’s raining pitter-patter in jungle, and together with every droplet of rain an enlivening aroma is spreading from the soil thirsty for ...
Stone Age / Shubhalaxmi Lamsal
I live the Stone Age and seek the fire for living by striking the pair of palaeoliths. I get cactus to bloom, by carving my existence...
शोकगीत का पोस्टमार्टम / निमेष निखिल
भगाना है किरनोँ से मार-मार कर कमरे में बचे हुवा अँधियारे को । भूख झाँक रही है बेशर्म नरदौआ में से रोग रो रहा है आँखोँ के सामने खदेडना है...
एक टुकड़ा बादल और मेरे सपने / कृष्ण पाख्रिन
जब देखता हूँ मैं तुम्हें आकाश की तरह नीचे आ कर झुकी हुई होती हो पहाड़ी के माथे पर, और बिखरी हुई होती हो क्षितिज के ऊपर, मानो आकाश में कहीं...
काठमान्डू की धूप / अभि सुवेदी
काठमान्डू अपने अनेक धूप और अनेक मूहँ से बोलता है। पथ्थर के वाणी पे तरासा हुवा मन से काठमान्डू अपना प्राचीन मूहँ खोल सैलानियोँ से...
घूमनेवाली कुर्सी पे एक अंधा / भूपी शेरचन
भर दिन खुश्क बाँस की तरह खुद का खोखले वजुद पे उँघकर, पछता कर भर दिन बीमार चकोर की तरह खुद के सीने पे खुद ही चोंच मारमार कर, जख्मों को...
हे नारी ! / नाजी करिम
हे नारी ! कहिलेसम्म बोकिरहन्छ्यौ यस मौनतालाई तिमी? युगौँ युग मौन रहे मेरा आमा र हजुरआमाहरू। निस्तब्द अन्धकार रातहरूमा एक्लोपनलाई अँगालो...
सांसारिक शब्दहरूमा उमेर उक्लिँदै / शीमा कलबासी
वर्षाका ध्वनीहरू, उडिरहेका चरा हिलो कान थुनाइ ! कुल योगफल । झरिरहेका आँशु चोटहरू, जीवन कतै नदेख्नु, आफ्नै दुःखभित्र बाँच्नु ! पछि गएर...