अँध्यारो जगतको सँघार / मार्गरेट स्येन
दिनको उज्यालो निभ्दैजाओस् र साँझ परोस्- म तिम्रा सपनाहरूको अंश हुन चाहन्छु जब समुद्र गर्जन्छ र आवाज ठोक्किएर गुन्जिन्छ पहाड हामी आपसमा...
हाम्रा डरहरू / आरती तिवारी
घरबाट निस्कने बितिक्कै भीडमा हराइएला भन्ने डर, राम्रा लुगा लगाउँदा अरूको आँखा लाग्ने डर, साधारण पहिरनमा हिँड्दा आम मान्छेझैँ देखिइएला...
याज्ञसेनी
द्रुपदस्य दृढा पुत्री द्रुपद्नन्दिनी द्रौपदी पाञ्चालस्य राजकन्या चञ्चल-चञ्चला पाञ्चाली यज्ञसतोद्भवा यौवना सत्यमुखी याज्ञसेनी याज्ञसेनी,...
एतय के जिबैत अछि अनन्तकाल
नहिये बोझि आनय के भार नहि त बोझ पठबय के दुःख जेकरा एबाक चाही, अबैत अछि जीवन उमेर समय। जेकरा जेबाक चाही, जाइत अछि समय उमेर जीवन। अनन्त...
अभिनय / गण्डकीपुत्र
छुप जाते हैँ सब कुछ जहर रखेँ या अमृत जीवन रखेँ या मृत्यु पर्दा लग जाने के बाद बाहर से कुछ दिखाई नहीं दिखाई देता है सिर्फ पर्दा । जिस तरह...
माँ के बारे में / धिरज राई
बडी मुस्किल में पड गया अब, कैसे करूँ मैं माँ का परिभाषा? अगर पूछा होता मेरे बारे में तो आसानी से कह सकता था- हर रोज जो खबर पढ्ते हो तुम...
समय और कवि / निमेष निखिल
लिख लिख कर मन का रोने से निकले हुए पंक्तियों को अव्यवस्थाओँ के प्रसंग और प्रतिकूलताभरी लम्हों को भयभीत है कवि कहीँ भाग न जाए पीडाओँ के...
लालसा / हरिभक्त कटुवाल
पिताजी, मैं स्कूल नहीं जाउँगा इतिहास पढाते हैँ वहाँ, जंग लगे मेसिनो के पूर्जे जैसे मरे हुए दिनों का, और अब तो गणित के सुत्र भी बहुत ही...