ये क्या 'सुमन'! हो गया / सुमन पोखरेल
ख्वाह म ख्वाह महताब आपका दुश्मन हो गया जब पर्दा उठाया रूख से और जहाँ रौशन हो गया इजहारे मुहब्बत करना था घबरा रहे थे हम वाजिब हुवा इजहार...
बन के मेहमान आया / सुमन पोखरेल
अपने गाँव के तरफ से एक तूफान आया खयालो में अपना टुटा हुआ मकान आया सोचे थे घर की चाबी थमाने को जिसे वो आया भी तो बन के मेहमान आया मेरे...
एक ही मुलाकात ने / सुमन पोखरेल
इल्म नही कब कब उठार्इ कलम किस किस की बात में अब कौन बताएगा यह हम ने लिखे या लिखा हालात ने छोड के दामन जिन्दगी की चले जाते दूर कही गर ना...
तेरा ही नाम लेकर / सुमन पोखरेल
आये थे हम तेरे शहर मे मुहब्बत का जाम लेकर लौटे है तो जफा ओ रूसवार्इ का सलाम लेकर बेवफा, खुदगर्ज, कैयाद, जाहील और हरजार्इ ज्यादा हुवा,...
देखा जाये न पुकारा जाये / सुमन पोखरेल
आप के हुश्नोशबाब को गौर से निहारा जाये तमन्ना हुवा आज आपको खुद संवारा जाये क्या काजल से कुछ धब्बे बना ले रूखसार पर ? और हकिकत मे जमीन पर...
माहजबी की तरह / सुमन पोखरेल
कानून बनाएँ मयकशीका कानून-ए-मजहबी की तरह फिर मिल के जलील करेँगे पण्डितको शराबी की तरह * * * * * ...
जलाते रहे बुझाते रहे / सुमन पोखरेल
कदम पे कदम यूँ मिलाते रहे तेरे शान खूब हम बढाते रहे हमे रात दिन याद आते रहे जिन्हे उम्र भर हम भूलाते रहे...
हे नारी ! / नाजी करिम
हे नारी ! कहिलेसम्म बोकिरहन्छ्यौ यस मौनतालाई तिमी? युगौँ युग मौन रहे मेरा आमा र हजुरआमाहरू। निस्तब्द अन्धकार रातहरूमा एक्लोपनलाई अँगालो...