तेरा ही नाम लेकर / सुमन पोखरेल
आये थे हम तेरे शहर मे मुहब्बत का जाम लेकर
लौटे है तो जफा ओ रूसवार्इ का सलाम लेकर
बेवफा, खुदगर्ज, कैयाद, जाहील और हरजार्इ
ज्यादा हुवा, क्या करेगे हम इतने इनाम लेकर
प्यार भी तुम, खुदा भी तुम, दुस्मन भी तुम ही हो गये
तुम ही मार डालो तो भी मरेंगे तेरा ही नाम लेकर
दिल टुट गया है, अब शायद हम भी नही रहेंगे
जाऊँ भी तो लेकिन मैं जाऊँ क्या पैगाम लेकर
तजुर्वा न था दुनियाँ का, यूँ ही हुवा इस बार
आए गर फिर तो हम जाएगे नये पयाम लेकर
जिन्दगी से खाली हात लौटाया उलफत के फरेब ने
क्या बताऊँ सुमन, कि हम आये थे कितने काम लेकर
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