पितल का फूल / आद्याशा दास
जो कुछ भी रख दो नाम मेरा भूमिका कुछ भी तय कर दो मेरे लिए पूछ लो, जो भी मन चाहे; समर्पित कर चुकी हूँ खुद को मैने तुम्हारा प्रेम की...
अभिनय / गण्डकीपुत्र
छुप जाते हैँ सब कुछ जहर रखेँ या अमृत जीवन रखेँ या मृत्यु पर्दा लग जाने के बाद बाहर से कुछ दिखाई नहीं दिखाई देता है सिर्फ पर्दा । जिस तरह...
माँ के बारे में / धिरज राई
बडी मुस्किल में पड गया अब, कैसे करूँ मैं माँ का परिभाषा? अगर पूछा होता मेरे बारे में तो आसानी से कह सकता था- हर रोज जो खबर पढ्ते हो तुम...
समय और कवि / निमेष निखिल
लिख लिख कर मन का रोने से निकले हुए पंक्तियों को अव्यवस्थाओँ के प्रसंग और प्रतिकूलताभरी लम्हों को भयभीत है कवि कहीँ भाग न जाए पीडाओँ के...
लालसा / हरिभक्त कटुवाल
पिताजी, मैं स्कूल नहीं जाउँगा इतिहास पढाते हैँ वहाँ, जंग लगे मेसिनो के पूर्जे जैसे मरे हुए दिनों का, और अब तो गणित के सुत्र भी बहुत ही...
राही / महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा
किस मंदिर को जाओगे राही, किस मंदिर पे जाना है ? किस सामान से पूजा करना, साथ कैसे ले जाना है ? मानवों के कंधे चढकर, किस स्वर्ग को पाना है...
लाभा / कल्पना सिँह-चिटनिस
ती कसरी मौन रहन सक्छन्, जसले शताब्दियौँ को प्रावाहमा डुवेर ल्याएका थिए शब्दलाई ? एउटा आगो पिएका थिए र उबाएका थिए शब्दलाई अँजुलीमा, जसको...
An Old Rickshaw Puller / Arjun Dhungana
The sun of destiny flashed never on his forehead, never lit the lamppost of his heart undying However, with the eyes that glitter every...