जलाते रहे बुझाते रहे / सुमन पोखरेल
कदम पे कदम यूँ मिलाते रहे तेरे शान खूब हम बढाते रहे हमे रात दिन याद आते रहे जिन्हे उम्र भर हम भूलाते रहे...
شاعرنۂ بنایا ہوتا / سُمن پوکھريل
ہمارے عشق کو رلّگي سا خبر نۂ بنایا ہوتا اے سنگ رل، تونے محبّت کوزھر نۂ بنایا ہوتا خنضر- سیاھہ – شب کیسکیس کو ماد لیتا کیا پتا آنشوعوں نے...
और भी हरी हुई थी / सुमन पोखरेल
दिल मे तब भी तेरी ही मुहब्बत भरी हुई थी तेरे मिलने से दाग-ए-दिल और भी हरी हुई थी उन से मिल के लौट आया मैं जो घर अपना कमरे में...
कहाँ जा रहे हो, कहाँ जा रहे हो ? / सुमन पोखरेल
महफिलों में जो मेरे ही गजल गा रहे हो यकीन हुवा के खतुत मेरे पा रहे हो मैं हूँ तंग किस्मत, या तेरी बदनसिबी है मुझे आज ही है जाना, तुम कल आ...
جِنہیں عمر بھر ہم بھُولاتے رہے/ سُمن پوکھريل
قدم پے قدم یُوں مِلاتے رہے تیرے شان خوب ہم بڈھاتے رہے ہمے رات دِن یاد آتے رہے جِنہیں عمر بھر ہم بھُولاتے رہے تجُربا...