आदेश / सुमन पोखरेल
आदेश तो सुनाई देता ही रहता है; नीचे रहने से । दायीं तरफ मत मुड़ना - बायीं तरफ़ मत सोना । खुकुरी साथ रखना - हथियार को पास मत रखना । ...
हर सुबह
हर सुबह रक्तरंजित खबरों से साथ जागता हूँ और सशंकित हो के टटोलता हूँ खुद को कहीं मैं ही हूँ या नहीं, जानने के लिए। कृतज्ञता व्यक्त करता...
बिदा होते हुए
सारी खिड्कीयाँ देख रही हैँ जैसा भी लग ही रहा था सारे दिवारें सुन रहे हैं जैसा भी लग ही रहा था उस वक्त वे सडके और फुटपाथ बोल रहे हैँ जेसा...
गर्मी
गर्मी अपनी उत्कर्ष से भी और उपर जा रही है मानो, कसम खा रखा है, तमाम थर्मामिटरों को तोडे बिना निचे न उतरने की । हवा इधर आने का मन नहीं कर...
बच्चे / सुमन पोखरेल
तोडना चाहने मात्र से भी उनके कोमल हाथों पे खुद ही आ जाते हैँ फूल डाली से, उनके नन्हे पाँव से कुचल जाने पे आजीवन खुद को धिक्कारते हैँ...
क्षितिज का रंग
हर सुबह के उपर कुछ पल खडे हो कर हर शाम के पास कुछ देर रूक कर खुद को भूल देख रहे हैं मेरी नजरेँ रोशनी के साथ साथ समेट रहेँ है मेरी पलकेँ,...