और भी हरी हुई थी / सुमन पोखरेल
दिल मे तब भी तेरी ही मुहब्बत भरी हुई थी तेरे मिलने से दाग-ए-दिल और भी हरी हुई थी उन से मिल के लौट आया मैं जो घर अपना कमरे में...
कहाँ जा रहे हो, कहाँ जा रहे हो ? / सुमन पोखरेल
महफिलों में जो मेरे ही गजल गा रहे हो यकीन हुवा के खतुत मेरे पा रहे हो मैं हूँ तंग किस्मत, या तेरी बदनसिबी है मुझे आज ही है जाना, तुम कल आ...