घूमनेवाली कुर्सी पे एक अंधा / भूपी शेरचनभर दिन खुश्क बाँस की तरह खुद का खोखले वजुद पे उँघकर, पछता कर भर दिन बीमार चकोर की तरह खुद के सीने पे खुद ही चोंच मारमार कर, जख्मों को...