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सारे दिरहम हुए / सुमन पोखरेल


दिल उस ने तोडा हम बेरहम हुए

जिक्र उसका चला रूसवा हम हुए

कितने दाग सहना होगा एक इन्सान को ?

एक दिल हजार दर्द क्या ये भी कम हुए ?

मुहब्बत की मंजिल पा लिया हम ने तो

दिल भी जल चुका, आँखे भी नम हुए

जिन्दगी ने सजायी थी कितने सपनें को

दिल यूँ टुट गया सारे दिरहम हुए

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