सारे दिरहम हुए / सुमन पोखरेल
- सुमन पोखरेल
- Sep 3, 2018
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दिल उस ने तोडा हम बेरहम हुए
जिक्र उसका चला रूसवा हम हुए
कितने दाग सहना होगा एक इन्सान को ?
एक दिल हजार दर्द क्या ये भी कम हुए ?
मुहब्बत की मंजिल पा लिया हम ने तो
दिल भी जल चुका, आँखे भी नम हुए
जिन्दगी ने सजायी थी कितने सपनें को
दिल यूँ टुट गया सारे दिरहम हुए
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