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Join date: Apr 21, 2020
Posts (3)
Sep 5, 2018 ∙ 3 min
आजकल मुझे / अभि सुवेदी
लगता है, आजकल मैं अक्सर एक साया ढोकर चलता हूँ। जिस तरह पहाडियोँ के अन्तर्तरङ्ग समझने को धिरे धिरे चारों ओर चक्कर लगाते हैं काली घटाएँ,...
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Sep 5, 2018 ∙ 1 min
काठमान्डू की धूप / अभि सुवेदी
काठमान्डू अपने अनेक धूप और अनेक मूहँ से बोलता है। पथ्थर के वाणी पे तरासा हुवा मन से काठमान्डू अपना प्राचीन मूहँ खोल सैलानियोँ से...
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Feb 5, 2015 ∙ 3 min
आजकल मुझे \ अभि सुवेदी
लगता है, आजकल मैं अक्सर एक साया ढोकर चलता हूँ। जिस तरह पहाडियोँ के अन्तर्तरङ्ग समझने को धिरे धिरे चारों ओर चक्कर लगाते हैं काली घटाएँ,...
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